आदमी की औकात
🤔 *आदमी की औकात* 🤔 एक माचिस की तिल्ली, एक घी का लोटा, लकड़ियों के ढेर पे कुछ घण्टे में राख..... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात !!!!* एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया , अपनी सारी ज़िन्दगी , परिवार के नाम कर गया। कहीं रोने की सुगबुगाहट , तो कहीं फुसफुसाहट , अरे जल्दी ले जाओ कौन रोयेगा सारी रात... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!* मरने के बाद नीचे देखा , नज़ारे नज़र आ रहे थे, मेरी मौत पे ..... कुछ लोग ज़बरदस्त, तो कुछ ज़बरदस्ती रो रहे थे। नहीं रहा..चला गया.......... चार दिन करेंगे बात......... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात!!!!!* बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा , सामने अगरबत्ती जलायेगा , खुश्बुदार फूलों की माला होगी ...... अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी......... बाद में उस तस्वीर पे , जाले भी कौन करेगा साफ़... बस इतनी-सी है *आदमी की औकात !!!!!!* जिन्दगी भर , मेरा- मेरा- मेरा किया.... अपने लिए कम , अपनों के लिए ज्यादा जीया ... कोई न देगा साथ... जायेगा खाली हाथ.... क्या तिनका ले जाने की भी है हमारी औकात ??? *हम चिंतन करें,क्या है हमारी औकात ???*