पहचान छोड़कर जाओ
पहचान छोड़कर जाओ ... जीवन के प्रति मन में इतनी हताशा ना लाओ सुख दुख से भरा ये खेल तमाशा देखते जाओ किसी उलझन में हो तो एकान्त को अपनाओ भूलो अपने तन को आत्म स्मृति में खो जाओ अपने मन की बात पहले खुद को ही बताओ प्रश्न पूछो खुद से ही और खुद से उत्तर पाओ अनमोल तुम्हारा ये जीवन करो जरा पहचान खत्म करो ना यूं ही इसको होकर तुम नादान बिना चुनौती के बोलो जीवन में क्या आनन्द हिम्मत रखकर उठ जाओ डरना कर दो बन्द ऐसे ना बैठो होकर हताश, उदास और निराश कुछ करके दिखलाने का अवसर करो तलाश हिम्मत कभी ना हारो करो मुकाबला डटकर ऐसा कर दिखलाओ जो हो दुनिया से हटकर अपना लक्ष्य पाने के लिए पूरा ही जुट जाओ लक्ष्य प्राप्त करने में ही सम्पूर्ण शक्ति लगाओ अनुसरण करने लायक अपना जीवन बनाओ विश्व पटल पर अपनी पहचान छोड़कर जाओ