चावी - बोधकथा

किसी गाँव में एक ताले वाले की दुकान थी। ताले वाला रोजाना अनेकों चाबियाँ 🔑🔑बनाया करता था। ताले वाले की दुकान में एक हथौड़ा 🔨भी था| वो हथौड़ा रोज देखा करता कि ये चाभी इतने मजबूत ताले🔒 को भी कितनी आसानी से खोल देती है।

एक दिन हथौड़े ने चाभी से पूछा कि मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूँ, मेरे अंदर लोहा भी तुमसे ज्यादा है और आकार में भी तुमसे बड़ा हूँ लेकिन फिर भी मुझे ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है और तुम इतनी छोटी हो फिर भी इतनी आसानी से मजबूत ताला कैसे खोल देती हो।

चाभी ने मुस्कुरा के ताले से कहा कि तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो लेकिन मैं ताले के अंदर तक जाती हूँ, उसके अंतर्मन को छूती हूँ और घूमकर ताले से निवेदन करती हूँ और ताला खुल जाया करता है।

वाह! कितनी गूढ़ बात कही है चाभी ने कि मैं ताले के अंतर्मन को छूती हूँ और वो खुल जाया करता है।

आप कितने भी शक्तिशाली हो या कितनी भी आपके पास ताकत हो, लेकिन जब तक आप लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे, उनके अंतर्मन को नहीं छुयेंगे तब तक कोई आपकी इज्जत नहीं करेगा।

हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है ठीक वैसे ही अगर आप शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं तो आप 100% नाकामयाब रहेंगे क्योंकि शक्ति ने आप किसी के दिल को नहीं छू सकते।

चाभी बन जाये,सबके दिल की ....

Comments

Popular posts from this blog

◾संघर्ष कथा :- एका आदिवासी जमातीतील कलेक्टर डॉ. राजेंद्र भारूडची ही संघर्ष कथा एकदा नक्की वाचा,खरचं प्रेरणा मिळेल ...

◼️प्रेरणा :- 🧐 जसा विचार कराल तसेच घडत जाईल | Law of attraction ...

◼️कविता :- उद्याचे काय होणार कोणास माहीत... | marathi poem on life | Arjun Apparao Jadhav

◼️ कृषी :- शेतकऱ्यांच्या माहितीसाठी विविध लेख...

◾कविता :- नवरा माझा

◾विशेष लेख :- विक्रम साराभाई यांचा एक सत्य किस्सा अवश्य वाचा !

◼️ ललित लेख :- शेवटी काय सोबत घेऊन गेला तो भिकारी ...

◾ललित लेख :- स्ञी

◼️ बोधकथा :- अति तेथे माती

कविता :- 📝 पत्र शेवटचं लिहितो आहे ...