देशाचे महानायक श्री अमिताभ बच्चन यांच्या वाढदिवसानिमित्त त्यांच्या काही प्रेरणादायी कविता !


आज 11 ऑक्टोंबर देशाचेे महानायक श्री अमिताभ बच्चन यांचा जन्मदिवस.
यानिमित्त काही लिहावेसे वाटले , 
अमिताभ बच्चनच एक स्वतः प्रेरणाची मूर्ती आहेत त्यांच्या बद्दल जेवढे लिहावे तेवढे कमीच येईल.

प्रिय वाचकहो ! हिंदीत एक म्हण आहे ...

बिना कष्ट के जीवन जीवन नही होता ।
हर इंसान जन्म से महान नहीं होता ।।

अरे ! हथौड़े के घाव सहे बगैर ।
      पत्थर भी भगवान नहीं होता ।।     


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मित्रांनो मी त्यांच्याबद्दल दुसरं काही लिहिणार नाही पण त्यांच्या लिहिलेल्या काही प्रेरणादायक कविता तुमच्या पुढे मांडतो -

हे वक्त ही हे गुजर जायेगा | ye waqt hi hai Gujar jayega

गुजर जाएगा, गुजर जाएगा
मुश्किल बहुत है, मगर वक्त ही तो है
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा।।

जिंदा रहने का ये जो जज्बा है
फिर उभर आएगा
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा।।

माना मौत चेहरा बदलकर आई है,
माना मौत चेहरा बदलकर आई है,
माना रात काली है, भयावह है, गहराई है
लोग दरवाजों पे रास्तों पे रूके बैठे हैं,
लोग दरवाजों पे रास्तों रूके बैठे हैं,
कई घबराये हैं सहमें हैं, छिपे बैठे हैं।

मगर यकीन रख, मगर यकीन रख. बस लम्हा है दो पल में बिखर जाएगा
जिंदा रहने का ये जो जज्बा है, फिर असर लाएगा
मुश्किल बहुत है, मगर वक्त ही तो है
गुजर जाएगा, गुजर जाएगा।।



कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती – Koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti
Amitabh Bachchan Latest Poem

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

नन्हीं चीटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती



मुझे कब तक रोकोगे | kab tak muze rokoge

मुझे कब तक रोकोगे
मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर
भर कर जेबों में आशाएँ
दिल में है अरमान यहीं
कुछ कर जाएँ कुछ कर जाएँ।

सूरज सा तेज नहीं मुझमें
दीपक सा जलता देखोगे
आपनी हद रौशन करने से
तुम मुझको कब तक रोकोगे।

मैं उस उस माटी का वृक्ष नहीं
जिसको नदियों ने सीचा है,
बंजर माटी में पलकर मैंने
मृत्यु से जीवन खीचा है।

मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ
शीशे से कब तक तोड़ोगे
मिटने वाला मैं नाम नहीं
तुम मुझको कब तक रोकोगे
तुम मुझको कब तक रोकोगे।

इस जग में जितने जुल्म नहीं
उतने सहने की ताकत है
तानों के शोर में भी रहकर
सच कहने की आदत है।

मैं सागर से भी गहरा हूँ
तुम कितने कंकड़ फेकोगे
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं
तुम मुझको कब तक रोकोगे।

झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ,
अब फिर झुकने का शौक नहीं
अपने ही हाथों रचा स्वयं
तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं।

तुम हालातों की भठ्ठी में
जब जब मुझको झोकोगे
तब तप कर सोना बनूँगा
तुम मुझको कब तक रोकोगे।

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