मी फुल्याची सावित्री हाय ! मराठी कविता | संतराम नाना पाटील

अंतर राष्ट्रीय महिला दिनानिमीत माझे हे काव्य पुष्प 

  कविता : : मी फुल्याची सावित्री हाय !!


झेलुनी अंगावर दगड धोंडे 

शेणही मारीती गाव गुंडे 

तोडीत गुलामीच्या श्रुखंला 

शिकले नी शिकवली शाळा 

नव्हता तेंव्हा खडु नी फळा 

सोडा परंपरा रिती भात जुनी 

अगं बायानो मी सत्यवानाची नाही 

मी फुल्याची सावित्री हाय गं .....!!

                        रेड्यांच्या तोंडी वेद बोलायचं 

                  मुक्या होत्या आम्ही सगळ्या जनी 

                        सती जायचं गेल्यावर पती 

                     विचारात नसायचे तेंव्हा कुणी 

                     शिकुन सवरुन शहाण्या झाल्या 

                      विसरू नका हा ईतिहास कुणी 

                अगं बायानु मी सत्यवानाची नाही 

                     मी फुल्याची सावित्री हाय गं..!!

सत्य नारायण वटसावित्री 

या गुलामगिरीच्या बेड्या 

सात जन्मी एक पती मागुन 

 तुम्ही होऊ नका ग वेड्या 

पुरूषी संस्कृतीच्या ओझ्याखाली 

भरकटल्या आमच्या सात पिढ्या 

अगं बायानु मी सत्यवानाची नाही 

मी फुल्याची सावित्री हाय गं....!!

                       हातात तुमच्या शिक्षणचं शस्त्र 

                      मिळतय तुम्हाला अंगभर वस्त्र 

                          शिक्षणाने बदललाय काळ 

                       नका पोसु जुना आग्या वेताळ 

                          खंबीर रहावा ग होईल नीट 

                  चोळु नका माझ्या जखमेवर मीठ 

                अगं बायानु मी सत्यवानाची नाही 

                 . मी फुल्याची सावित्री हाय गं...!!

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रचना 


संतराम नाना पाटील 

मु.पो.केनवडे ता. कागल जि. कोल्हापूर 

मो.नं. 9096769554

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