अहिंसा का वास्तविक स्वरूप

💐*अहिंसा का वास्तविक स्वरूप*.........👌
         *अहिंसा का मतलव केवल किसी के प्राणों का रक्षण ही नहीं किसी के प्रण का और किसी के उसूलों का रक्षण करना भी है। अहिंसा, अर्थात वो मानसिकता जिसमे प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार हो।*
         *किसी व्यक्ति को अपनी इच्छा का कर्म करने का अधिकार मिले चाहे ना मिले पर अपनी इच्छा को अभिव्यक्त करने का अधिकार जरूर होना चाहिए। अहिंसा का सम्बन्ध किसी के शरीर को आघात पहुँचाने से ही नहीं किसी के दिल को आघात पहुँचाने से भी है।*
          *किसी के दिल को दुखाना भी बहुत बड़ी हिंसा है। गोली से तो शरीर जख्मी होता है आदमी की ख़राब वोली से आत्मा तक हिल जाती है। अतः अहिंसा केवल आचार में ही नहीं विचार और बोली में भी रखना परमावश्यक है।*
         ।।जय श्री राधे कृष्णा जी।।
           


            असेच लेख.          
वाचण्यासाठी आमचा ब्लॉग
         फॉलो करा              

Comments

Popular posts from this blog

कविता :- आतुरता

◾संघर्ष कथा :- एका आदिवासी जमातीतील कलेक्टर डॉ. राजेंद्र भारूडची ही संघर्ष कथा एकदा नक्की वाचा,खरचं प्रेरणा मिळेल ...

◼️ बोधकथा :- पाण्यामध्ये मासा झोप घेतो कसा जावे त्याच्या वंशा तेव्हा कळे...

◾जीवन परिचय :- राम गणेश गडकरी

◼️ बोधकथा :- अति तेथे माती

◼️ कृषी :- शेतकऱ्यांच्या माहितीसाठी विविध लेख...

◼️प्रेरणा :- 🧐 जसा विचार कराल तसेच घडत जाईल | Law of attraction ...

◼️ ललित लेख :- शेवटी काय सोबत घेऊन गेला तो भिकारी ...

◾कविता :- नवरा माझा

जिवन विचार - 52